वर्ष 1977 के IEEPA (International Emergency Economic Powers Act) को आपातकालीन परिस्थितियों में राष्ट्रपति को अर्थव्यवस्था से संबंधित निर्णय लेने की शक्ति के रूप में उपयोग किया जाता रहा है। लेकिन अदालत ने स्पष्ट किया कि इस कानून में “शुल्क” (tariffs) लगाने की कोई स्पष्ट अनुमति नहीं है। हालांकि आपातकाल वर्णित है, शुल्क या कर लगाने की शक्ति नहीं शामिल।
U.S. Federal Circuit के न्यायाधीशों ने 7-4 के निर्णय से समर्थन किया कि ट्रम्प ने अपने कार्यकाल के दौरान IEEPA के दायरे से परे जाकर व्यापक शुल्क (reciprocal tariffs) लगाए जो कानूनी रूप से मान्य नहीं थे
अदालत ने स्पष्ट किया कि ये शुल्क तुरंत हटाए नहीं जाएंगे — बल्कि अपनू स्तर तक लागू रहेंगे ताकि प्रशासन सुप्रीम कोर्ट तक अपनी अपील दायर कर सके। यह समय सीमा 14 अक्टूबर तक निर्धारित की गई है|
मई 2025 में New York Court of International Trade ने V.O.S. Selections, Inc. v. United States मामले में ट्रम्प के IEEPA शूल्कों को अवैध घोषित करते हुए उन्हें लागू करने पर रोक लगा दी थी। फ़िर Federal Circuit ने उस निर्णय को भी बरकरार रखा, लेकिन एक अस्थायी स्थगन लगाकर सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने की प्रक्रिया को खोला|
नीचे दी गई टेबल में इस महत्वपूर्ण घटना को चरणबद्ध तरीके से समझाया गया है। प्रत्येक चरण में मुख्य तथ्य, पृष्ठभूमि और प्रभाव शामिल हैं, ताकि पाठक आसानी से समझ सकें।
| चरण | विवरण |
|---|---|
| चरण 1: टैरिफ की शुरुआत और उद्देश्य | 2025 की शुरुआत में, राष्ट्रपति ट्रंप ने कई देशों पर व्यापार टैरिफ लागू किए, जिन्हें वे ‘प्रत्युत्तर टैरिफ’ कहते हैं। ये मुख्य रूप से चीन, यूरोपीय संघ, कनाडा और मैक्सिको जैसे देशों पर लगाए गए थे। उद्देश्य अमेरिकी अर्थव्यवस्था की रक्षा करना, घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना और व्यापार असंतुलन को ठीक करना था। ट्रंप ने इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (IEEPA) का हवाला दिया, जो आपातकालीन स्थितियों में आर्थिक प्रतिबंध लगाने की अनुमति देता है। हालांकि, आलोचकों ने इसे शक्ति का दुरुपयोग बताया, क्योंकि इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं प्रभावित हुईं और उपभोक्ता कीमतें बढ़ीं। |
| चरण 2: निचली अदालत में चुनौती और फैसला | मई 2025 के अंत में, यूएस कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड में कई कंपनियों और व्यापार समूहों ने इन टैरिफ के खिलाफ मुकदमा दायर किया। अदालत ने ट्रंप के IEEPA के उपयोग को गलत ठहराया, कहते हुए कि यह एक्ट व्यापक व्यापार नीति बदलने के लिए नहीं है, बल्कि विशिष्ट आपात स्थितियों के लिए है। फैसले में टैरिफ को अस्थायी रूप से रोक दिया गया और ट्रंप प्रशासन को झटका लगा। कोर्ट ने तर्क दिया कि राष्ट्रपति की शक्तियां सीमित हैं और कांग्रेस की मंजूरी के बिना ऐसे कदम नहीं उठाए जा सकते। इस फैसले से बाजार में थोड़ी राहत आई, लेकिन अपील की संभावना बनी रही। |
| चरण 3: अपील की प्रक्रिया और बहस | ट्रंप प्रशासन ने जून 2025 में अपील दायर की, दावा करते हुए कि IEEPA उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर टैरिफ लगाने की व्यापक शक्ति देता है। सुनवाई के दौरान, अपील कोर्ट के जजों ने ट्रंप के तर्कों पर सवाल उठाए, पूछते हुए कि क्या हर व्यापार विवाद को आपातकाल माना जा सकता है। दूसरी तरफ, विरोधियों ने कहा कि इससे राष्ट्रपति की शक्तियां अनियंत्रित हो जाएंगी। सुनवाई में विशेषज्ञों ने गवाही दी कि ऐसे टैरिफ से अमेरिकी निर्यात प्रभावित हो रहे हैं और सहयोगी देशों से संबंध खराब हो रहे हैं। अपील के दौरान टैरिफ आंशिक रूप से लागू रहे, लेकिन अनिश्चितता बढ़ती गई। |
| चरण 4: अपील कोर्ट का अंतिम फैसला | 29 अगस्त 2025 को, अपील कोर्ट ने बहुमत से फैसला सुनाया कि ट्रंप के अधिकांश टैरिफ अवैध हैं। कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया, कहते हुए कि IEEPA का उपयोग यहां अनुचित था। फैसले में स्पष्ट किया गया कि ऐसे टैरिफ कांग्रेस की सहमति के बिना नहीं लगाए जा सकते। यह ट्रंप की व्यापार नीति के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि इससे दर्जनों देशों पर लगे टैरिफ प्रभावित होंगे। कोर्ट ने कुछ अपवादों को मंजूर किया, लेकिन कुल मिलाकर ट्रंप की रणनीति को सीमित कर दिया। |
| चरण 5: फैसले के तत्काल प्रभाव | फैसले से वैश्विक बाजारों में हलचल मच गई, स्टॉक में उतार-चढ़ाव आया और कई कंपनियां राहत महसूस कर रही हैं। चीन जैसे देशों ने इसकी सराहना की, जबकि ट्रंप ने इसे ‘अनुचित’ बताया। अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा, क्योंकि टैरिफ से बढ़ी कीमतें कम हो सकती हैं। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में घरेलू उत्पादन प्रभावित हो सकता है। ट्रंप प्रशासन अब सुप्रीम कोर्ट में अपील की तैयारी कर रहा है, जो महीनों लग सकती है। |
| चरण 6: लंबे समय के निहितार्थ और विशेषज्ञ राय | विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति की आर्थिक शक्तियों की सीमाओं को परिभाषित करता है। भविष्य में प्रशासन अधिक सतर्क होंगे और कांग्रेस की भूमिका बढ़ेगी। वैश्विक स्तर पर, यह व्यापार युद्ध को कम कर सकता है, लेकिन अनिश्चितता बनी रहेगी। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप नए कानूनों या समझौतों के जरिए अपनी नीति जारी रख सकते हैं। कुल मिलाकर, यह अमेरिकी व्यापार इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो लोकतंत्र की जांच-परख को मजबूत करता है। |
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