Janmashtami 2025: तिथि, पूजा मुहूर्त, व्रत विधि और श्रीकृष्ण कथा
जन्माष्टमी भारत के सबसे प्रमुख हिंदू त्योहारों में से एक है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। मंदिरों में झांकियां सजती हैं, भजन-कीर्तन होते हैं और दही-हांडी जैसे आयोजन से पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता है।

Janmashtami 2025 की तिथि और पूजा मुहूर्त
- तिथि: रविवार, 17 अगस्त 2025
- अष्टमी तिथि प्रारंभ: 17 अगस्त को सुबह 09:15 बजे
- अष्टमी तिथि समाप्त: 18 अगस्त को प्रातः 11:40 बजे
- निशीथ पूजा मुहूर्त: 17 अगस्त रात 11:59 से 18 अगस्त रात 12:45 तक
निशीथ पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रात 12 बजे हुआ था।
व्रत और पूजा विधि
- सुबह स्नान और संकल्प – ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर श्रीकृष्ण व्रत का संकल्प लें।
- घर की सजावट – पूजा स्थान को फूल, रंगोली और लाइट्स से सजाएं।
- कृष्ण झांकी – माखन-मिश्री, तुलसी और बांसुरी के साथ कृष्ण की मूर्ति सजाएं।
- पूजा सामग्री – धूप, दीप, रोली, मौली, पंचामृत, माखन, तुलसी, फूल, नारियल।
- मंत्र जाप – “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- अष्टमी व्रत – दिनभर फलाहार करें और रात्रि में कृष्ण जन्म के बाद प्रसाद ग्रहण करें।
श्रीकृष्ण जन्म कथा
मथुरा में कंस के अत्याचार से जनता पीड़ित थी। भविष्यवाणी हुई कि कंस की मृत्यु उसकी बहन देवकी के आठवें पुत्र के हाथों होगी। इसलिए कंस ने देवकी और वसुदेव को कारागार में कैद कर लिया। जब आठवें पुत्र के रूप में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, तो वसुदेव ने उन्हें गोकुल में नंद-यशोदा के घर पहुंचाया। यहीं पर उन्होंने बाल्यकाल में माखन चुराना, गोपियों के संग रास रचना और दही-हांडी तोड़ना जैसे अद्भुत लीलाएं कीं।
दही-हांडी का महत्व
दही-हांडी का आयोजन खासतौर पर महाराष्ट्र और मथुरा में बड़े धूमधाम से होता है। इसमें युवक पिरामिड बनाकर ऊंचाई पर बंधी मटकी को फोड़ते हैं, जो श्रीकृष्ण की माखन चोरी की लीला का प्रतीक है।
जन्माष्टमी सजावट आइडिया
- फ्लावर डेकोरेशन और रंगोली
- LED लाइट और झांकी सेटअप
- बच्चों के लिए कृष्ण-राधा की ड्रेस
- बांसुरी और माखन-पात्र सजावट
- मंदिर में झूला सजाना
जन्माष्टमी भजन और कीर्तन
कुछ लोकप्रिय भजन जो आप जन्माष्टमी पर गा सकते हैं:
- “यशोदा का नंदलाला”
- “अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम”
- “मुरली मनोहर गोपाल”
श्रीकृष्ण के उपदेश (भगवद गीता से)
- कर्म करते रहो, फल की चिंता मत करो।
- धर्म के मार्ग पर चलना सर्वोच्च कर्तव्य है।
- मन, वाणी और कर्म से सदैव सत्य का पालन करो।
- क्रोध, लोभ और अहंकार त्यागो।
निष्कर्ष
जन्माष्टमी केवल एक धार्मिक पर्व ही नहीं बल्कि जीवन में प्रेम, भक्ति और धर्म की स्थापना का संदेश देने वाला उत्सव है। चाहे मंदिर में पूजा हो, घर की सजावट हो या दही-हांडी का आयोजन, इस दिन का हर पल भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से प्रेरणा देता है।