नवरात्रि 2025 का महत्व जानें – रामायण के अनुसार उत्पत्ति, माता दुर्गा के नौ रूप (नवदुर्गा), पूजा विधि, दशहरा का महत्व और भारतभर में नवरात्रि कैसे मनाई जाती है।
नवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो शक्ति, भक्ति और विजय का प्रतीक माना जाता है। इसका अर्थ ही है – नौ रातें। इन नौ दिनों और दसवीं रात तक माता दुर्गा और उनके विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है।
भारतीय परंपरा में यह पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक उत्सव भी है। नवरात्रि साल में चार बार आती है – माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन मास। इनमें से चैत्र और आश्विन नवरात्रि अधिक लोकप्रिय हैं। चैत्र का उत्सव वसंत ऋतु में आता है जबकि आश्विन का शारदीय नवरात्र शरद ऋतु में। शारदीय नवरात्र का समापन दशहरे पर होता है।
रामायण के अनुसार नवरात्रि की कथा
रामायण में नवरात्रि से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा आती है। जब श्रीराम और रावण के बीच अंतिम युद्ध होने वाला था, तब भगवान राम ने विजय प्राप्ति के लिए माता दुर्गा की उपासना की।
कथा इस प्रकार है –
राम ने अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवरात्रि में माता दुर्गा को 108 नीलकमल अर्पित करने का संकल्प किया। पूजा के दौरान उन्होंने देखा कि एक कमल कम पड़ गया है। तब श्रीराम ने अपने कौमुदिनी लोचन अर्थात नेत्र को अर्पित करने का निश्चय किया। उनकी यह गहन भक्ति और समर्पण देखकर माता दुर्गा प्रकट हुईं और उन्हें विजय का आशीर्वाद दिया। इसी आशीर्वाद से श्रीराम को रावण पर विजय मिली।
यह कथा हमें सिखाती है कि सच्ची लगन और समर्पण से की गई पूजा हमेशा फल देती है।
नवरात्रि का धार्मिक और सांस्कृतिक पहलू
नवरात्रि का महत्व केवल पूजा तक सीमित नहीं है। अलग-अलग क्षेत्रों में यह पर्व अपने-अपने ढंग से मनाया जाता है।
- गुजरात में – लोग रातभर गरबा और डांडिया खेलते हैं। माता की महिमा का गुणगान करते हैं।
- पश्चिम बंगाल में – नवरात्र का रूप दुर्गा पूजा के रूप में दिखता है। वहां बड़ी-बड़ी प्रतिमाएं बनाई जाती हैं और पंडाल सजाए जाते हैं।
- उत्तर भारत में – रामलीला और रामायण के मंचन के साथ साथ कन्यापूजन और हवन का आयोजन होता है।
- दक्षिण भारत में – घर-घर में देवी के लिए ‘गोलू’ सजाया जाता है, जिसमें मूर्तियां और कलात्मक वस्तुएं रखी जाती हैं।
गुप्त नवरात्र
साल में माघ और आषाढ़ माह में जो नवरात्रि आती है, उसे गुप्त नवरात्र कहा जाता है। यह साधारण भक्तों के लिए उतनी प्रसिद्ध नहीं होती, परंतु तांत्रिक साधकों और विशेष साधनाओं के लिए इसका बहुत महत्व है। माना जाता है कि इस समय की गई साधना से सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
नवदुर्गा – माता के नौ स्वरूप
नवरात्रि में माता दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। इन्हें नवदुर्गा कहते हैं।
- शैलपुत्री – पर्वतराज हिमालय की कन्या
- ब्रह्मचारिणी – तपस्विनी स्वरूप
- चंद्रघंटा – शक्ति और सौंदर्य का रूप
- कूष्मांडा – सृष्टि की रचयिता
- स्कंदमाता – भगवान कार्तिकेय की माता
- कात्यायनी – असुरों का संहार करने वाली
- कालरात्रि – सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश करने वाली
- महागौरी – पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक
- सिद्धिदात्री – सभी सिद्धियों की दात्री
नवरात्रि के प्रत्येक दिन एक देवी की अलग-अलग उपासना की जाती है और भक्तजन उपवास रखते हैं।
दशहरा और विजयादशमी
नवरात्रि का समापन दशहरा या विजयादशमी के रूप में होता है। इसे बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है।
इस दिन क्षत्रिय परंपरा के अनुसार शस्त्र-पूजन किया जाता है। विद्या की देवी सरस्वती का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन नया काम शुरू करना, शिक्षा, व्यापार या किसी नए कार्य की शुरुआत करना अत्यंत शुभ होता है।
उत्तर भारत में दशहरे पर रावण दहन की परंपरा है, जबकि बंगाल में इस दिन दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है।
अन्य धर्मों में नवरात्रि
नवरात्रि केवल हिंदू धर्म में ही नहीं बल्कि अन्य धर्मों की परंपराओं पर भी प्रभाव डालती है।
- सिख धर्म – गुरु गोबिंद सिंह द्वारा रचित दसम ग्रंथ में देवी शक्ति का उल्लेख मिलता है।
- जैन धर्म – जैन समुदाय भी सामाजिक स्तर पर नवरात्रि के उत्सवों में शामिल होता है, विशेषकर गरबा और अन्य सांस्कृतिक समारोहों में।
नवरात्रि का आज के समय में महत्व
आधुनिक युग में भी नवरात्रि केवल धार्मिक पर्व नहीं बल्कि समाज को जोड़ने वाला उत्सव है। यह हमें एकता, भक्ति और संस्कृति से जोड़ता है।
- यह पर्व महिलाओं की शक्ति का सम्मान करता है।
- माता के नौ रूप जीवन में अलग-अलग मूल्यों की याद दिलाते हैं – त्याग, तपस्या, साहस, ज्ञान और पवित्रता।
- त्योहारों के बीच एक सकारात्मक ऊर्जा पूरे समाज में फैल जाती है।
निष्कर्ष
नवरात्रि शक्ति की आराधना का पर्व है। यह हमें यह विश्वास दिलाता है कि अधर्म पर धर्म की हमेशा जीत होती है। रामायण की कथा हमें प्रेरित करती है कि यदि भक्ति निष्कपट हो तो असंभव भी संभव हो जाता है।
नवरात्रि केवल पूजा का ही पर्व नहीं बल्कि संस्कृति, आस्था और जीवन का उत्सव है। इसमें गरबा, दुर्गा पूजा, रामलीला, कन्या पूजन और दशहरा – सब मिलकर यह दर्शाते हैं कि यह पर्व भारतीय जीवन का अभिन्न हिस्सा है।