श्रावण मास 2025 – महादेव की आराधना का सर्वोत्तम समय
श्रावण मास भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होता है। इस महीने में शिवलिंग पर जल चढ़ाना, रुद्राभिषेक करना, बिल्वपत्र अर्पित करना, व्रत-उपवास रखना और भस्म चढ़ाना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। जानिए इस पवित्र माह का महत्व बिंदुवार:

श्रावण मास का शुभारंभ और समापन
श्रावण मास 25 जुलाई 2025 से शुरू होकर 23 अगस्त 2025 को समाप्त होगा। इस पूरे महीने में भगवान शिव की पूजा अत्यंत फलदायी मानी जाती है।
महादेव को श्रावण क्यों प्रिय है?
पौराणिक कथा के अनुसार पार्वतीजी ने युवावस्था में श्रावण मास में उपवास और तप कर शिवजी को प्रसन्न किया और विवाह किया। तभी से यह मास शिव को अत्यंत प्रिय माना जाता है।
रुद्राभिषेक का महत्व
समुद्र मंथन में निकले विष को शिवजी ने पी लिया था जिससे उनका शरीर गर्म हो गया। देवताओं ने उन्हें ठंडक देने के लिए जलाभिषेक किया। तभी से शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करने की परंपरा है।
बिल्वपत्र क्यों चढ़ाए जाते हैं?
बिल्वपत्र भगवान शिव का अत्यंत प्रिय पत्र है, जिसमें सूर्य, चंद्र और अग्नि का वास माना गया है। इससे शिवजी जल्दी प्रसन्न होते हैं।
भस्म का महत्व
शिवजी को भस्म अति प्रिय है। शिवपुराण के अनुसार, सती की मृत्यु के बाद शिवजी ने शरीर पर भस्म लगाई थी और तभी से शिवभक्तों में भस्म चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।
श्रावण में विशेष पूजन क्यों होता है?
पौराणिक कथा के अनुसार, मुक्ति, लंबी उम्र और रोगों से मुक्ति के लिए इस मास में शिव पूजन अत्यंत लाभकारी है। स्वयं अमरत्व प्राप्त करने हेतु ऋषियों ने भी यह पूजन किया।
व्रत-उपवास के फायदे
- उपवास से पाचन शक्ति में सुधार होता है।
- गैस, अपच, एसिडिटी जैसी समस्याएं दूर होती हैं।
- एक दिन उपवास से पाचन तंत्र को विश्राम मिलता है।
Disclaimer:
यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और पौराणिक कथाओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।