दिनांक: 29 जून, 2025
भारत के चुनावी इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है! बिहार देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जिसने स्थानीय निकाय चुनावों में मोबाइल ऐप के जरिए ई-वोटिंग की सुविधा शुरू की है। यह एक ऐतिहासिक कदम है जो लोकतंत्र को और अधिक सुलभ और सशक्त बनाएगा।
कब और कैसे हुई शुरुआत?
ऐतिहासिक तारीख: 28 जून 2025 को बिहार में नगरपालिका आम चुनाव और उपचुनावों के दौरान पहली बार मोबाइल ऐप के माध्यम से ई-वोटिंग की सुविधा प्रदान की गई।
पायलट प्रोजेक्ट: शुरुआत में, यह सुविधा 26 जिलों की 42 नगरपालिकाओं में हुए उपचुनावों में लागू की गई। इसमें पटना, बक्सर, भोजपुर, कैमूर, नालंदा, कटिहार, अररिया, सहरसा और पूर्वी चंपारण जैसे जिले शामिल थे।
पहले ई-वोटर: पूर्वी चंपारण की विभा कुमारी मोबाइल से मतदान करने वाली देश की पहली महिला ई-वोटर बनीं। वहीं, पूर्वी चंपारण के ही मुन्ना कुमार पहले पुरुष ई-वोटर बने। बक्सर की रहने वालीं बुजुर्ग मतदाता प्रेमावती देवी ने भी पहली बार ई-वोटिंग के जरिए अपना वोट डाला।
क्यों है यह इतना महत्वपूर्ण?
बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने इस पहल को “सुविधा, सुरक्षा और सशक्त भागीदारी” का प्रतीक बताया है। इसके कई फायदे हैं:
समावेशी मतदान: यह सुविधा उन मतदाताओं के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है जो मतदान केंद्र तक पहुंचने में असमर्थ होते हैं, जैसे:
- 80 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग
- शारीरिक रूप से दिव्यांग
- असाध्य रोगों से ग्रसित व्यक्ति
- गर्भवती महिलाएं
- प्रवासी मजदूर
मतदान प्रतिशत में वृद्धि: ई-वोटिंग ने मतदान को अधिक सुलभ और सुविधाजनक बनाकर मतदाता भागीदारी को बढ़ाया है। इन चुनावों में रिकॉर्ड 70% (लगभग) मतदाताओं ने मोबाइल से मतदान किया, जो पारंपरिक बूथ वोटिंग से भी अधिक था।
तकनीकी सुरक्षा: यह प्रणाली ब्लॉकचेन सुरक्षा, लाइवनेस डिटेक्शन और फेस मैचिंग जैसे बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के माध्यम से छेड़छाड़-रहित मतदान सुनिश्चित करती है। मतदाता सत्यापन के लिए फेस रिकॉग्निशन सिस्टम का भी उपयोग किया गया।
आधुनिक लोकतंत्र की ओर एक कदम: बिहार की इस पहल ने भारतीय लोकतंत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव की नींव रखी है, जिससे भविष्य में मतदान प्रक्रिया और अधिक डिजिटल और पारदर्शी हो सकती है।
आगे क्या?
मतों की गिनती 30 जून 2025 को होगी। बिहार की यह सफलता अन्य राज्यों के लिए भी ई-वोटिंग को अपनाने के लिए एक प्रेरणा बन सकती है, जिससे भारत में मतदान प्रक्रिया और भी आधुनिक और सुविधाजनक बनेगी। यह ऐच्छिक सुविधा है, यानी इसे वही मतदाता ले सकते हैं जिन्होंने इसके लिए पंजीकरण कराया था।